मानसून में कम बारिश का कारण रहा अल-नीनो सर्दियों पर भी असर डालेगा। विश्व मौसम संगठन (डब्ल्यूएमओ) और अमेरिकी मौसम एजेंसी 'एनओएए' के मुताबिक, उत्तरी गोलार्ध में अल-नीनो के मई 2024 तक सक्रिय रहने की संभावना 85% है। इसके असर से समुद्री सतह का तापमान अभी औसत से 1.3 डिग्री तक ज्यादा चल रहा है। समुद्री तापमान में इतनी बढ़ोतरी फरवरी-अप्रैल 2016 के बाद पहली बार दर्ज हुई है।
पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के पूर्व सचिव व मौसम विज्ञानी डॉ. माधवन नैयर राजीवन ने यूरोपियन सेंटर फॉर मीडियन रेंज वेदर फॉरकास्ट्स मॉडल के हवाले से बताया कि अल-नीनो की वजह से आने वाली सर्दी में ठंड ज्यादा नहीं पड़ेगी। सर्दी का मौसम भी छोटा रहेगा, यानी ठंड के दिन कम रहेंगे। नवंबर से फरवरी तक तापमान सामान्य से अधिक रहेगा, इसलिए कोल्ड वेव की गुंजाइश कम है। इधर, भारतीय मौसम विभाग ने अभी सर्दी के सीजन का पूर्वानुमान जारी नहीं किया है।
सक्रिय पश्चिमी विक्षोभ कम, इसलिए बर्फबारी भी घटेगी
सर्दी के मौसम में कोल्ड वेव या सर्द दिनों का दौर पश्चिमी विक्षोभ के गुजरने के बाद तब आता है, जब पहाड़ों की सर्द हवाएं मैदानी इलाकों में पहुंचती हैं और आसमान बिल्कुल साफ हो जाता है। लेकिन, इस बार बर्फबारी भी सामान्य से कम रह सकती है। विशेषज्ञ कह रहे हैं कि सक्रिय-प्रभावशाली पश्चिमी विक्षोभों की संख्या कम रहेगी। नवंबर से फरवरी के दौरान 4 से 6 पश्चिमी विक्षोभ प्रति माह आते हैं, जो इस बार 3 या 4 हो सकते हैं। ग्लोबल वार्मिंग के चलते इनके पैटर्न में भी बदलाव आ रहा है।
अल-नीनो का असर ये भी कि सर्दी जल्दी शुरू होगी
अल-नीनो के कारण वातावरण का तापमान सामान्य से अधिक रहता है और तापमान बढ़ने पर पश्चिमी विक्षोभों की आवृत्ति बढ़ जाती है। अक्टूबर में इसका नमूना देखने को मिला था। पिछले 21 दिन में 5 पश्चिमी विक्षोभ आ चुके हैं। फिलहाल इसका यह असर हो सकता है कि सर्दियों का आगमन बीते सालों की तुलना में जल्दी होगा। नवंबर के पहले हफ्ते में ही ठंड का अहसास होने लगेगा। उत्तर के मैदानों में रात का तापमान अभी से 13-15 डिग्री तक पहुंच चुका है। अब दिन का तापमान भी घटने लगेगा।
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