रिपोर्ट में कहा गया है कि शीर्ष अदालत की समिति मुफ्त में दिये जाने वाले उपहारों के लिये दायरा तय कर सकती है. यह कल्याणकारी योजनाओं के लिये सकल राज्य घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) या राज्य के अपने कर संग्रह का एक प्रतिशत अथवा राज्य के राजस्व व्यय का एक प्रतिशत हो सकता है. मुंबई : विभिन्न राजनीतिक दलों के मुफ्त में दिए जाने वाले उपहारों की घोषणा आने वाले समय में अर्थव्यवस्था के लिए घातक साबित हो सकती है. एक रिपोर्ट में यह आगाह करते हुए सुझाव दिया गया है कि इस संदर्भ में उच्चतम न्यायालय द्वारा गठित समिति ऐसे खर्चों को राज्य के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) या राज्य के कर संग्रह के एक प्रतिशत तक सीमित कर दे. राजनीतिक दलों द्वारा मुफ्त में दिए जाने वाले उपहारों को लेकर जारी बहस के बीच भारतीय स्टेट बैंक के अर्थशास्त्रियों की एक रिपोर्ट में यह कहा गया है. भारतीय स्टेट बैंक के मुख्य आर्थिक सलाहकार (समूह) सौम्य कांति घोष द्वारा लिखी गई इस रिपोर्ट में तीन राज्यों का उदाहरण दिया गया है. इसमें कहा गया है कि गरीब राज्यों की श्रेणी में आने वाले छत्तीसगढ़, झारखंड और राजस्थान में सालाना पेंशन देनदारी तीन ल...
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